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लेखनी प्रतियोगिता -17-Apr-2023-अधूरी मुलाकात



सर्वप्रथम माँ शारदे को नमन,
तत्पश्चात "लेखनी" मंच को नमन,
मंच के सभी श्रेष्ठ सुधि जनों को नमन,
कविता
शीर्षक -- 🌹 अधूरी मुलाकात 🌹
दिनांक -- १७.०४.२०२३
दिन -- सोमवार
दैनिक प्रतियोगिता 
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क्यों चल दिए मुझे छोड़कर, बताओ  क्या बात है?
अभी ठीक से  मिली भी नहीं, अधूरी  मुलाकात है।
 
इतनी जल्दी भी क्या थी, थोड़ी देर  तो रूक जाते,
जो वादा  किया था  तुमने, उसको तो  निभा जाते।

माँ व बाबूजी  को साथ, तीर्थ पर लेकर  जाना था,
बच्चों को तुम्हें स्कूल में, दाखिला भी करवाना था।

बेरूखी का जो आलम था, क्यों मैं  जान नहीं पाई,
समय रहते  समय को, मैं क्यों  नहीं  पहचान पाई।

ना जाओ  तुम मुझसे,  इस  तरह से  मुँह  मोड़कर,
इस  दुनिया में हम सबको, तन्हा अकेला  छोड़कर।

मैं तो आपकी पत्नी हूँ, कुछ मेरे भी  तो अरमान थे,
याद करें  उन वचनों को,  दिए संग  रिश्ते जोड़कर।

ऐसी भी क्या  बेरूखी थी, जो तुम  निभा  ना सके,
चल दिए  क्यों दुनिया से, सारे रिश्तों  को तोड़कर।

सोचे थे  साथ  जियेंगे  मरेंगे, भवसागर  पार करेंगे,
चले गए क्यों कश्ती को, बीच मझधार में छोड़कर।

                    🙏🌷 मधुकर 🌷🙏

(अनिल प्रसाद सिन्हा 'मधुकर', जमशेदपुर, झारखण्ड)
(स्वरचित मौलिक रचना, सर्वाधिकार ©® सुरक्षित)

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13 Comments

shahil khan

18-Apr-2023 11:58 PM

nice

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Alka jain

18-Apr-2023 12:35 PM

Nice

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Abhinav ji

18-Apr-2023 09:08 AM

Very nice 👍

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